सुख-दुःख | Happiness & Misery

2024-06-26 2

सुख शातावेदनीय कर्म है और दुःख अशातावेदनीय कर्म है। संसार में लोग अपनी मान्यता से सुख को सुख और दुःख को दुःख मानते है। जब की ज्ञानी सुख और दुःख से पर रहते हैं। वे केवल अपने आत्म सुख में ही रहते हैं।

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